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कोरोना से बचाव : कोविशील्ड की दोनों डोज का अंतराल घटाकर फिर 4 से 8 हफ्ते करने की तैयारी

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नई दिल्ली, 16 जून। केंद्र सरकार कोविड-19 महामारी से बचाव के लिए वैक्सीन कोविशील्ड की दोनों डोज के बीच का अंतराल घटाकर फिर चार से आठ हफ्ते करने पर विचार कर रही है। सरकार के राष्ट्रीय टीकाकरण तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआई) के कोविड-19 संबंधी कार्यसमूह के प्रमुख डॉ. एन.के. अरोड़ा ने बुधवार को कुछ ऐसा ही संकेत दिया।

डॉ. अरोड़ा ने कहा कि आंशिक टीकाकरण तथा पूर्ण टीकाकरण की प्रभावशीलता के बारे में सामने आ रहे साक्ष्यों पर विचार किया जा रहा है। इस क्रम में यह मंथन भी चल रहा है कि क्या भारत को कोविड-19 रोधी टीके कोविशील्ड की दोनों खुराकों के बीच गैप को घटाकर फिर से चार से आठ हफ्ते कर देना चाहिए।

दो बार बढ़ाया जा चुका दोनों डोज के बीच का गैप

गौरतलब है कि देश में कोरोनारोधी दो वैक्सीन – कोवैक्सीन और कोविशील्ड का उत्पादन हो रहा है। शुरुआत में दोनों टीकों की दोनों डोज के बीच का अंतराल चार से छह हफ्ते तय किया गया था। इनमें कोवैक्सीन की दोनों डोज के लिए अब भी वही नियम है। लेकिन कोविशील्ड की दोनों डोज के बीच का अंतराल मार्च से अब तक दो बार बढ़ाया जा चुका है। पहले 17 मार्च को यह अंतराल छह से आठ हफ्ते का किया गया और फिर 13 मई को यह गैप बढ़ाकर 12 से 16 सप्ताह कर दिया गया।

दोनों डोज के बीच गैप बढ़ाने का फैसला वैज्ञानिक आधार पर

डॉ. अरोड़ा ने कहा कि कोविशील्ड की दो खुराकों के बीच अंतराल को 4-6 हफ्ते से बढ़ाकर 12-16 हफ्ते करने का फैसला वैज्ञानिक आधार पर लिया गया था और इस बारे में एनटीएजीआई के सदस्यों के बीच कोई मतभेद नहीं थे।

उन्होंने कहा, ‘कोविड-19 और टीकाकरण परिवर्तनशील हैं। कल को यदि टीका निर्माण तकनीक (वैक्सीन प्लेटफॉर्म) में कहा जाता है कि टीके की खुराकों के बीच अंतराल कम करना लोगों के लिए फायदेमंद है, चाहे इससे महज पांच या दस फीसदी ही अधिक लाभ मिल रहा हो, तो समिति गुण-दोष के आधार तथा ज्ञान के बूते पर इस बारे में फैसला लेगी। वहीं दूसरी ओर, यदि ऐसा पता चलता है कि वर्तमान फैसला सही है तो हम इसे जारी रखेंगे।’

ब्रिटेन के आंकड़ों से प्रभावित होकर बढ़ाया था गैप

उन्होंने कहा कि अप्रैल माह के अंतिम हफ्ते में ब्रिटेन के स्वास्थ्य विभाग की एजेंसी ‘पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड’ ने भी आंकड़े जारी कर बताया था कि टीके की खुराक के बीच 12 हफ्ते का अंतराल होने पर इसकी प्रभावशीलता 65 से 88 फीसदी के बीच रहती है। इसी क्रम में कनाडा, श्रीलंका और कुछ अन्य देशों के उदाहरण भी सामने आए, जहां एस्ट्राजेनेका टीके के लिए 12 से 16 हफ्ते का अंतराल रखा गया है।

डॉ. अरोड़ा ने बताया, ‘खुराकों के बीच अंतर बढ़ाने का जब हमने फैसला लिया, उसके दो से तीन दिन बाद ब्रिटेन से खबरें आईं कि एस्ट्राजेनेका टीके की एक खुराक से महज 33 फीसदी बचाव ही होता है जबकि दो खुराकों से 60 फीसदी तक बचाव होता है। इसके बाद मई माह के मध्य से ही यह विचार विमर्श चल रहा है कि क्या भारत को खुराकों के बीच अंतराल फिर से चार से आठ हफ्ते कर देना चाहिए।’