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सर्वोच्च न्यायालय का निर्देश – कोरोना के सभी टीकों की खरीदी का विस्तृत ब्यौरा प्रस्तुत करे केंद्र

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नई दिल्ली, 2 जून। कोरोनारोधी टीकों की कमी को लेकर देशभर में मची उठापटक के बीच सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह कोविड-19 टीकाकरण नीति पर अपनी सोच दर्शाने वाले प्रासंगिक दस्तावेज और  फाइल नोटिंग रिकॉर्ड पर रखे। इस क्रम में केंद्र से कोविड-19 के समस्त टीकों की खरीद का विस्तृत ब्यौरा प्रस्तुत करने को कहा गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 के प्रबंधन पर स्वत: संज्ञान लिए गए एक मामले में यह निर्देश जारी किया है। न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एस. रवींद्र भट्ट की विशेष पीठ ने बुधवार को कहा, ‘हम केंद्र सरकार को दो सप्ताह में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हैं।’ पीठ ने केंद्र से यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि आदेश में प्रत्येक मुद्दे पर अलग-अलग जवाब दिया जाए।

शीर्ष अदालत ने राज्यों से भी यह बताने को कहा कि क्या वे मुफ्त टीका लगा रहे हैं? अदालत ने म्यूकरमाइकोसिस के इलाज पर भी जानकारी मांगी है। इस मामले पर अगली सुनवाई 30 जून को होगी।

सुप्रीम कोर्ट की विशेष पीठ ने कहा कि कोविड-19 के सभी टीकों (कोवैक्सीन, कोविशील्ड तथा स्पुतनिक वी) की खरीद पर आज तक के केंद्र सरकार के ब्योरे के संबंध में उपलब्ध कराए जाने वाले सम्पूर्ण आंकड़ों में निम्न बातें स्पष्ट होनी चाहिए – 1. केंद्र सरकार द्वारा तीनों टीकों की खरीद के लिए दिए गए सभी ऑर्डर की तारीखें।

  1. हर तारीख पर कितनी मात्रा में टीकों का ऑर्डर दिया गया।
  2. टीकों की आपूर्ति की प्रस्तावित तारीख।

गौरतलब है कि विगत 31 मई को भी कोविड टीकाकरण नीति पर सुप्रीम कोर्ट ने तीखी टिप्पणी की थी। शीर्ष अदालत ने तब कहा था कि केंद्र यह न समझे कि सिर्फ उसे ही पता है कि सही क्या है? जस्टिस चंद्रचूड़, जस्टिस नागेश्वर राव और जस्टिस एस. रवींद्र भट्ट की बेंच ने कहा था, ‘45 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के स्वास्थ्य को ज्यादा खतरा मानते हुए केंद्र ने वैक्सीन दी। क्या 18 से 44 वर्ष की उम्र में ऐसे लोग नहीं हैं, जिन्हें कोरोना से अधिक खतरा हो?’